Tuesday, March 26, 2019

सुषमा ने पाक से कहा- दोनों नाबालिग हिंदू बेटियां उनके परिवार को सौंपी जाएं

नई दिल्ली. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार दो नाबालिग लड़कियों को फौरन उनके परिवार तक पहुंचाया जाए। होली के दिन सिंध प्रांत से इनका अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। इसके बाद इनका निकाह करा दिया गया था। भारत की ओर से यह मुद्दा उठाए जाने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने जांच के आदेश दिए थे। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर भारत ने पाक को पत्र भी लिखा था।

सुषमा ने पूछा- क्या नाबालिग बेटियां शादी का फैसला ले सकती हैं?
सुषमा ने मंगलवार को ट्वीट किया, ''पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म बदलवाया। उनकी उम्र को लेकर कोई विवाद नहीं है। रवीना 13 और रीना 15 साल की है। नए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तक को यह नहीं लगता कि नाजुक उम्र की बेटियां क्या अपनी मर्जी से शादी, या धर्म बदलने का फैसला ले सकती हैं। हमारी सिर्फ एक मांग है कि लड़कियां परिवार को सौंपी जाएं।'' इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को दोनों लड़कियों को सुरक्षित परिवार के पास पहुंचाने का आदेश दिया है।

अफसर समेत 7 लोग गिरफ्तार
अल्पसंख्यक समुदाय ने रविवार को कराची में प्रदर्शन किया था। इसके बाद सुषमा स्वराज ने पाक स्थित भारतीय उच्चायोग से मामले की जानकारी मांगी थी। पुलिस ने सोमवार को काजी समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है।

होली की शाम (21 मार्च) कुछ लोगों ने रवीना और रीना का उनके घर से अपहरण कर लिया था। दोनों बहनें सिंध प्रांत के घोटकी जिले की रहने वाली हैं। उनकी जबरन शादी कराने से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए थे। एक वीडियो में लड़की ने कहा था कि उसे जबरन इस्लाम कबूल कराया गया।

बीजिंग. चीन के कस्टम विभाग ने उन 30 हजार मानचित्रों को नष्ट कर दिया, जिनमें अरुणाचल प्रदेश और ताइवान को उनके कब्जे में नहीं दिखाया गया था। इन वैश्विक मानचित्रों की छपाई चीन में ही हुई थी। चीनी के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि सारे नक्शे किसी अज्ञात देश में भेजे जाने थे।

अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है चीन
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित अरुणाचल प्रदेश को चीन अपने कब्जे में बताता रहा है। उसका कहना है कि यह राज्य दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। यहां तक कि उसे भारतीय राजनेताओं के इस प्रदेश में आने पर भी आपत्ति है। चीन ने दलाई लामा के अरुणाचल दौरे का विरोध किया था। दलाई के वहां जाने पर नौ जगहों के नाम बदल दिए थे।

अरुणाचल से सटी 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर भारत-चीन के बीच लंबे अर्से से विवाद चल रहा है। दोनों देश इस मसले पर 21 दौर की वार्ता कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।

ताइवान को भी चीन अलग देश के तौर पर मान्यता नहीं देता। चीन, ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। हालांकि, वैश्विक मंचों पर अपनी स्वायत्ता को लेकर ताइवान लगातार आवाज उठा रहा है। 

चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी में इंटरनेशल लॉ के प्रोफेसर ली वेनजांग का कहना है कि नक्शे नष्ट करना सही कदम है। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक ताइवान और दक्षिणी तिब्बत चीन के ही अभिन्न अंग हैं।

Wednesday, March 20, 2019

दक्षिणी अफ़्रीका: मोज़ाम्बिक, ज़िम्बॉब्वे और मलावी में ईडाय तूफ़ान से भारी तबाही, हज़ारों की मौत की आशंका

पिछले कुछ दिनों से दक्षिणी अफ़्रीका के तीन देशों में ऐसे ही भयानक मंज़र देखने को मिल रहे हैं. ये तीन देश हैं- मोज़ांबिक, ज़िम्बॉब्वे और मलावी.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि तूफ़ान ईडाय शायद दक्षिण अफ़्रीकी इलाकों में आई अब तक की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है.

एक वक़्त पर तो मोज़ाम्बिक के तक़रीबन 70 लाख लोग साइक्लोन ईडाय के सीधे संपर्क में थे. अकेले मलावी में 900 से ज़्यादा लोग इस तूफ़ान की चपेट में आ चुके हैं.

संयुक्त राष्ट्र से मिली जानकारी के मुताबिक़ तूफ़ान की वजह से छह मीटर तक गहरी बाढ़ भी आई है और इससे एक बड़े हिस्से में भारी विनाश है.

पूर्वी ज़िम्बाब्वे में मौजूद बीबीसी अफ़्रीका की संवाददाता शिंगाई न्योका ने कहा कि 'उन्होंने कभी इतनी बड़ी तबाही नहीं देखी.'

संयुक्त राष्ट्र के सहायता कर्मियों की आशंका है कि मोज़ाम्बिक का बूज़ी शहर पूरी तरह से डूब सकता है क्योंकि आने वाले कुछ घंटों में बाढ़ का पानी लगातार बढ़ेगा. तूफ़ान की वजह से ज़िम्बॉब्वे के पूर्वी हिस्से में भी भारी तबाही हुई है. वहीं, मलावी में लगभग 100 लोगों की मौत हो गई है.

बायरा शहर के नेल्सन मोआदा अपने परिवार के साथ बचकर इटली जाने में क़ामयाब रहे. उन्होंने रोम से बीबीसी से बात की और बताया कि उनके गृहनगर में कैसे हालात हैं:

उन्होंने कहा, "सारे स्कूल बर्बाद हो गए. बायरा का सेंट्रल हॉस्पिटल नष्ट हो गया है. आप जानते हैं कि मोज़ांबिक एक ग़रीब देश है. बायरा को एक-दो महीनों में वापस पहले जैसा नहीं बनाया जा सकता. हमें शहर को दोबारा खड़ा करने में महीने और साल लग जाएंगे. शहर पूरी तरह बर्बाद हो गया है. ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने पूरे शहर पर बम गिरा दिया हो."

मोज़ांबिक में तूफ़ान प्रभावित इलाके में किए गए एक हवाई सर्वेक्षण से पता चलता है कि तक़रीबन 50 किलोमीटर तक का हिस्सा पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ है.

बीबीसी संवाददाता मिल्टन कोसी ने मोज़ांबिक की नेता, बाल और मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्रेसा मशेल से बात की. बीबीसी संवाददाता ने उनसे सबसे पहला सवाल ज़मीनी हालात के बारे में पूछा:

ग्रेसा ने कहा, "आज बायरा, सोफ़ाला और मनीका की स्थिति साल 2000 में आई आपदा से भी बहुत ज़्यादा बुरी है. संपर्क और दूरसंचार के साधन पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. लोग एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे है. अभी इस बारे में सही जानकारी नहीं है कि गांवों में कितने लोग फंसे हुए हैं, कितने लोग मौत से जूझ रहे हैं और कितने लोगों के घर बर्बाद हो गए हैं. इसलिए हालात बेहद गंभीर हैं. लोगों को हर छोटी-बड़ी चीज़ की ज़रूरत है फिर चाहे वो खाना हो, दवाएं हों या कपड़े. मैंने आज सुबह संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद को फ़ोन किया और संयुक्त राष्ट्र से ख़ास तौर पर प्रशिक्षित टीम भेजने की अपील की है. हमारे लिए इस त्रासदी की असल गंभीरता और जटिलता जानना ज़रूरी है, जो हम अब तक नहीं जान पाए हैं."

ग्रेसा ने कहा, "इस आपदा से सिर्फ़ एक देश ही प्रभावित नहीं हुआ है. मुसीबत सिर्फ़ मोज़ांबिक पर नहीं बल्कि ज़िम्बॉब्वे और मलावी पर भी आई है. इसलिए हम तीनों देश मिलकर संयुक्त राष्ट्र से साझा अपील कर रहे हैं"

बीबीसी संवाददाता के ये पूछने पर कि क्या मोज़ांबिक सरकार ऐसी आपदाओं से निबटने में सक्षम है, ग्रेसा ने 'नहीं' में जवाब दिया.

उन्होंने कहा, "इस तरह के भयावह और जटिल संकट से निबटना एक अकेली सरकार के बस की बात नहीं है. हमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद चाहिए. मुझे मालूम है कि सरकार अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश कर रही है. राष्ट्रपति न्यूसी बायरा में कैबिनेट से मुलाकात कर रहे हैं ताकि आपदा का सही अंदाज़ा लगाया जा सके. "

इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ रेड क्रॉस ने भी तूफ़ान से हुई तबाही को 'भयानक' बताया है. ब्रिटेन की सरकार ने मोज़ाम्बिक और मलावी को 80 लाख डॉलर की मानवीय मदद देने का ऐलान किया है.

वहीं, ज़िम्बॉब्वे में इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया गया है. राष्ट्रपति इमर्सन मंगाग्वा यूएई की यात्रा से बीच में ही लौट आए हैं.

Friday, March 8, 2019

सस्पेंस में दम, पर कमजोर है अमिताभ-तापसी की एक्टिंग

पिंक के बाद एक बार फिर बदला के जरिए अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू की जोड़ी आई है. बदला एक सस्पेंस थ्रिलर ड्रामा है. इस जॉनर में समय समय पर फिल्में बनती रही हैं. बींग साइरस, गुमनाम, गुप्त, बाजीगर, वो कौन थी, दृश्यम, कहानी और अंधाधुन जैसी फिल्मों की लिस्ट काफी लंबी है. बदला की कहानी में काफी मजबूत है और इसमें जबरदस्त सस्पेंस भी है. आइए जानते हैं कि कहानी और अंधाधुन जैसी फिल्मों के मुकाबले कैसी बन पड़ी है बदला.

क्या है फिल्म की कहानी:

फिल्म की कहानी नैना (तापसी पन्नू) की है. नैना एक यंग आंत्रप्रेन्योर है. शादीशुदा और एक बच्चे की मां है. हालांकि वो अर्जुन नाम के एक शादीशुदा शख्स के साथ एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर में भी है. दोनों एक दूसरे के परिवार वालों से छिप कर पैरिस में मिलते हैं. इसी बीच कहीं जाने के दौरान रोड एक्सिडेंट में नैना की कार से, सनी नाम के एक लड़के की मौत हो जाती है. जिसके बाद दोनों सनी की मौत का सबूत मिटाते हैं. लेकिन सनी की मौत को लेकर कोई दोनों को ब्लैकमेल करता है. पैसे की मांग करता है. दोनों ब्लैकमेलर को रकम देने एक होटल में पहुंचते हैं, यहीं से शुरू होता है कहानी में ट्विस्ट.

दरअसल, होटल में अर्जुन की मौत हो जाती है और इल्जाम नैना पर लगता है. अमृता सिंह ने सनी की मां का रोल निभाया है. अमिताभ बच्चन प्रॉसिक्यूटर के रोल में हैं, वो नैना का केस टैकल करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. अब फिल्म की कहानी का तानाबाना कुछ सवालों में बुनने की कोशिश हुई है. जैसे अर्जुन की अचानक मौत कैसे हुई?  पैसे की मांग करने वाला होटल के रूम पर आता है, मगर पैसे लिए बिना क्यों चला जाता है? अमिताभ का किरदार क्या है? ब्लैकमेलर कौन है? अर्जुन की हत्या किसने की? ऐसे तमाम सवाल जानने के लिए फिल्म देखना होगा. वैसे इसमें सस्पेंस अर्जुन की हत्या से अलग वो चीज है जो फिल्म के टाइटल से जुड़ी हुई है. इंटरवल तक फिल्म में जबरदस्त सस्पेंस है.

क्यों देखें-

फिल्म की कहानी मजबूत है. शुरू से लेकर अंत तक सस्पेंस बनाए रखा गया है. किरदारों को किस समय पर कैसे फिल्म में पेश करना है इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया है. कहानी जिस तरह की है, उसे फिल्माना चुनौतीपूर्ण काम होता है. लेकिन इसके लिए निर्देशन और सम्पादन की तारीफ़ की जानी चाहिए. चूंकि फिल्म तमाम सवालों के जरिए बुनी गई है, इस वजह से एक सवाल का जवाब मिलने पर अगला सवाल फिल्म में दिलचस्पी बनाए रखता है. सीन्स अच्छे बन पड़े हैं. बदला की सबसे अच्छी बात यही है कि ये बोर नहीं करती और अंत तक दिलचस्पी बनाए रखती है.

हालांकि इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि कलाकारों का अभिनय बहुत उम्दा नजर नहीं आता. हो सकता है कि कहानी में नाटकीयता बहुत कम होने की वजह से ऐसा है. बदला को अमिताभ बच्चन या तापसी पन्नू की बहुत बेहतरीन एक्टिंग के लिए याद नहीं किया जाएगा. अमृता सिंह या दूसरे कलाकारों के काम अपनी जगह ठीक ठाक कहे जा सकते हैं.

फिल्म के कुछ आउटडोर लोकेशन प्रभावी हैं. सस्पेंस थ्रिलर ड्रामा में लाइट्स का बहुत योगदान होता है. बदला में कैमरा और रोशनी का अच्छा इस्तेमाल किया गया है.

क्यों ना देखें-

ज्यादा घुमावदार फिल्में देखने के आदी नहीं हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है. फिल्म के डायलॉग्स पर ज्यादा काम नहीं किया गया है. फिल्म की कहानी चाहें जितनी शानदार हो, बेहतरीन तरीके से इसे फिल्माया गया हो मगर कोई भी फिल्म दर्शकों के दिल में सिर्फ अच्छे डायलॉग्स की वजह से ही पहुंच सकती है. फिल्म में गाने नहीं हैं. बैकग्राउंड स्कोर भी मूड के हिसाब से सही कहा जा सकता है.